वैदिक ज्योतिष और रत्न





 
          


वैदिक ज्योतिष और रत्न
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों के पांच प्रकार से उपाए किये जाते है।
मंत्र , रत्न , दान , स्नान , ओषधि।
हम यहाँ रत्न के बारे में बात करते है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली के लग्न , चन्द्र लग्न , और सूर्य लग्न के अधिपति की स्थिति , इन तीनो लग्नो में जो सबसे मजबूत स्थिति में हो ,उसके अनुसार उसके स्वामी गृह के रत्न का चुनाव किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार विभिन्न ग्रहों की शुभता को बढ़ाने के लिए रत्न धारण किया जाता है , इसलिए कुंडली में जो केंद्र और त्रिकोण के शुभ स्वामी हो , जो योगकारक गृह हो उसके शुभत्व को बढ़ाने के लिए उस गृह से सम्बंधित रत्न का चुनाव करना सबसे श्रेष्ठ है।
अनेको बार मेरे पास जातक आते है जिनको कई बार में गलत रत्न धारण किये हुए देखता हूँ , मैं हैरान होता हूँ की कई बार मेरे मित्र ज्योतिष सिर्फ महादशा के अनुसार ,या चन्द्र राशि के अनुसार रत्न पहना देते है जिससे जातक को लाभ की बजाये नुकसान ही होता है ,और वो रत्न का व्यय भी बेकार हो जाता है।
लोग शनि और उसके रत्न नीलम से बहुत डराए गए है जबकि मेरे अनुभव से राहु और उसका रत्न गोमेद कभी भी सही जाँच पड़ताल किये बिना नहीं पहनना चाहिए। राहु और उसका रत्न तीव्र फल ,अचानक फल देता है ,राहु का स्वभाव भी कुंडली में उसकी स्थिति ,भाव , सम्बन्ध के अनुसार ही देखा जाता है , उसका अपनी कोई राशि तो है नहीं , इसलिए राहु का रत्न बहुत ध्यान से बताना पड़ता है। कभी कभी लोग मोती को सिर्फ गुस्सा शांत करने का रत्न समझकर पहन लेते है लेकिन यदि चन्द्र भाव या चन्द्र स्थिति ६ , ८ , १२ हुई तो यही मोती व्यक्ति को डिप्रेशन भी दे देता है।
इसी प्रकार विभिन्न लग्नो और ग्रहों के लिए रत्न बहुत सावधानी से जन्मपत्रिका की पूर्ण जाँच करके ही पहनना चाहिये।
किसी भी प्रकार के समस्या के निवारण के लिए ,ज्योतिष , वास्तु , राशि रत्न , रुद्राक्ष , मंत्र अनुष्ठान , उपाए , सम्बंधित सलाह के लिए संपर्क करें।
Acharya Anil Verma
Master in Astrology and Vastu science
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Sector-7 Rohini Delhi
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Tourmaline -तुरमुली




Tourmaline -तुरमुली -यह पत्थर अनेको रंगो मैं निकलता है ,इसका सदियों से ज्योतिष विभिन्न रंगो के अनुसार अलग अलग ग्रहों की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए करते आ रहे है ,लेकिन काली तुरमुली का प्रयोग प्राचीन समय से गृह बाधा के अलावा काला  जादू , ऊपरी हवा , बुरी नज़र के बचाव के लिए किया जाता रहा है , अघोर साधना करने वाले तांत्रिक अपनी किर्या करने से पहले ही इसे सिद्ध करके सुरक्षा कवच की तरह पहनते आ रहे है ,इस पर वास्तु आ ज्योतिष के अनुसार बहुत शोध के बाद हमने इसके अंगूठियों पे पहनने के अलावा वास्तु में भूमि शोधन ,मकान , दुकान , फैक्ट्री आदि में बुरी नजर , किया कराया , भुतबाधा ,काला जादू आदि से बचाव के लिए इसके कच्चे जमीं से निकले हुए टुकड़ो को विभिन्न स्थल मैं जमीं में गड़वाने और विभिन्न दिशाओं मैं बड़े बड़े टुकड़े रखवाने का प्रयोग किया जिसमे हमे ९०% से अधिक सफलता प्राप्त हुई , इस पत्थर के लगने से काला  जादू ,बुरी नजर से बचाव मैं बहुत आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुए। साथ ही इस पत्थर को तराश  कर और पोलिश करके अंगूठियों और पैंडल के रूप में पहनने से भी बहुत अच्छे परिणाम मिलते है। 
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