वास्तु के पंचतत्व ओर दिशाओ से करें सही भाग्यशाली रंगों का चुनाव

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जन्मकुंडली में चंद्रमा से बनने वाले योग और उनका जीवन पर प्रभाव

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श्रीपीताम्बरा-बगलामुखी-खडागमालमंत्र

विनियोग
ॐ अस्य
न्यास
नारायण ऋषये नमः शिरसि , त्रिष्टुपछन्दसे नमो मुखे , श्रीबागलामुखीदेवतायै नमः हृदये , ह्लीं बीजाय नमो गुह्यो , स्वाहा शस्क्तये नमः पादयो: ,ॐ कीलकाय नमः सर्वांगे।

ॐ ह्लीं अंगुष्ठाभ्याम नमः , बगलामुखी तर्जनीभ्यां नमः , सर्व दुष्टानां वाचं मुखम पदम स्तम्भय अनामिकाभ्यां नमः, जीवह्यं कीलय कनिष्ठाभ्यां नमः , बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा करतलकरप्रष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ह्लीं हृदयाय नमः , बगलामुखी शिरसे स्वाहा, सर्वदुष्टानां शिखायै वषट , वाचं मुखम पदम स्तम्भय कवचाय हुम् , बुद्धिं विनाशय नेत्रायय वौषट , ॐ स्वाहा अस्त्राय फट्।

ध्यान
मध्येसुधाब्दि मणिमण्डिरत्नवेधां
सिंहसनोपरिगतां परिपीतवस्त्राम् ।
भ्रामयदगदां करनिपीडितवैरिजीवह्यं ,
पीताम्बरां कनकमाल्यवतीं नमामि।।

ॐ ह्लीं सर्वनिन्दकनां सर्वदुष्टानां वाचं स्तंभय स्तंभय बुद्धिं विनाशय विनाशय अपरबुद्धिं कुरु कुरु अपस्मारं कुरु कुरु आत्मविरोधिनां शिरो -ललाट -मुख -नेत्र -कर्ण -नासिका -दाँतोष्ठ -जिव्ह्य-तालुकंठ  -बाहुदर -कुक्षी -नाभि -पार्श्वदय -गुह्य-गुदाण्ड-त्रिक-जानुपाद-सर्वांगेषु पादादिकेश पर्यंतं केशादीपादपर्यंतं स्तम्भय स्तम्भय मारय मारय परमंत्र-परयंत्र-परतंत्राणि छेदय छेदय आत्ममंत्र-यंत्रतंत्राणि रक्ष रक्ष सर्वग्राहन निवारय निवारय सर्वम् अविधिं विनाशय विनाशय दुखं हन हन दारिद्र्य निवारय निवारय सर्वमंत्रस्वरूपिणी सर्वशल्ययोगस्वरूपिणी दुस्टग्रह -चण्डग्रह-भूतग्रह-आकाशग्रह -चौरग्रह -पाषाणग्रह-चांडालग्रह-यक्ष-गांधर्वकिन्नरग्रह-ब्रह्मराक्षशग्रह-भूत-प्रेत-पिशाचादीनां शाकिनी डाकिनी-ग्रहाणां पूर्वदिशं बंधय बंधय वाराही बगलामुखी मां रक्ष रक्ष दक्षिणदिशं बंधय बंधय किरातवाराही मां रक्ष रक्ष पश्चिमदिशं बंधय बंधय स्वप्नवाराही मां रक्ष रक्ष उत्तरदिशं बंधय बंधय धूम्र वाराही मां रक्ष रक्ष सर्वदिशो बंधय बंधय कुक्कुटवाराही मां रक्ष रक्ष अधरदिशं बंधय बंधय परमेश्वरी मां रक्ष रक्ष सर्वरोगान विनाशय विनाशय सर्वशत्रुपलायनाय सर्वशत्रुकुलं मूलतो नाशय नाशय शत्रुणां राज्यवश्यं स्त्रिवश्यं जनवश्यं दह दह पच पच सकललोकस्तम्भिनी शत्रुन स्तम्भय स्तम्भय स्तंभनमोहनाकर्षणाय सर्वरिपुणाम् उच्चाटनं कुरु कुरु ॐ ह्लीं क्लीं ऐं वाकप्रदानाय क्लीं जगत्वाशिकर्णाय सौ: सर्वमनः क्षोभणाय श्रीं महासम्पतप्रदानाय गलौं सकलभूमंडलाधिपत्यप्रदानाय दां चिरंजीवने।ह्रां ह्रीं ह्रूं क्लां क्लीं कलूं सौ:  ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जीवह्यं कीलय बुद्धिं विनाशय राजस्तम्भिनी क्रों क्रों
छी्ं छी्ं सर्वजनसम्मोहिनी सभास्तम्भिनी स्त्रां स्त्रीं सर्वमुखरंजिनी मुखं बंधय बंधय ज्वल ज्वल हंस हंस राजहंस प्रतिलोम इहलोक परलोक परद्वार राजद्वार क्लीं कलूँ घी्ं रूं क्रों क्लीं खाणि खाणि।जीवह्यं बंध्यामि  सर्वजनसर्वेन्द्रीयाणि बंध्यामि नागाश्र्व -मृग-सर्प-विहंगम -वृश्चिकादि -महोग्रभूतजातं बंध्यामि बंध्यामि लक्ष्मीं प्रददामी प्रददामी त्वम इह आगच्छ आगच्छ अत्रैव निवासं कुरु कुरु ॐ  ह्लीं बगले परमेश्वरी हूं फट् स्वाहा।
श्रीपीताम्बरा-बगलामुखी-खडागमालमंत्रस्य नारायण ऋषि:, त्रिष्टुप छन्दः , बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं , स्वाहा शक्ति: , ॐ कीलकं , ममाभिष्टसिध्यर्थे जपे विनियोगः ।