शुक्र

शुक्र के कारक
शरीर में जननांग, वीर्य, नेत्र पर शुक्र का प्रभाव रहता है.शुक्र प्रेम, विवाह, वासना, मैथुन, सुख, ऐश्वर्य, गायन एवं नृत्य का अधिपति होता है.शुक्र विवाह एवं वैवाहिक सुख सहित सम्बन्ध विच्छेद का भी कारक होता है.शुक्र प्रभावित व्यक्ति आशिक मिज़ाज का होता है.सुन्दरता एवं कला का प्रेमी होता है.जिस पुरूष की कुण्डली में शुक्र शुभ और उच्च का होता है वह श्रृंगार प्रिय होता है.इन्हें स्त्रियों का साथ पसंद होता है व इनसे लाभ भी मिलता है.
चमकीला सफ़ेद रंग , आग्नेय कोण , सुख , प्रेम ,विवाह, भोग , विलास , संगीत , नृत्य , मनोरंजन,वाहन , सुन्दर भवन   सिनेमा ,अपनी स्त्री ,  वासना , इसके लिए चावल ,मिश्री , मिठाई , सफ़ेद चमकीला कपडा , चांदी , हिरा , जिरकॉन , इत्र , सफ़ेद चन्दन ,श्रृंगार का सामान, लक्ष्मी की स्तुति , शुक्र का मंत्र , जाप करना चाहिए 
तान्त्रिक मंत्र
शुक्र : ॐ शुक्राय नम:
शुक्र : ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
वैदिक मंत्र 
शुक्र : ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:।
सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं
शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमि​दं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्रायन मम।