स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र साधना



आज आपको जीवन की दारिद्र्य दूर करने और अधिक से अधिक धनवान हो इसके लिए भगवान भैरव के स्वर्णाकर्षण मंत्र का विधान दे रहा हूँ। यह प्रयोग पूर्ण रूप से निश्चित रूप से सफलता देता है। यह प्रयोग मेरे परम पूजनीय गुरु जी महाराज की कृपा से प्राप्त हुआ है।
इसका प्रयोग रात्रि काल मैं  एक चौकी पर लाल कपडा बिछाकर उसपर प्रभु भैरव का एक सूंदर आकर्षक चित्र रखे ,तेल और घी का दीपक ,फूल और भोग समर्पण करके ४३ दिन तक ३१ माला रोज करें। भोग नित्य अगले दिन कहीं सुनसान मैं रख आये।
प्रभु भैरव पर पूर्ण आस्था और श्रद्धा भाव से यह प्रयोग करे ,यह प्रयोग पूर्ण सात्विक विधान है इसलिए शुचिता का विशेष ध्यान रखा कर करें। प्रभु भैरव आपको जरूर सफलता देंगे।
            स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र साधना
विनियोग -
अस्य श्री स्वर्णाकर्षण भैरव  स्तोत्र-  मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि अनुष्टुप छन्दः श्री स्वर्णाकर्षण भैरवो देवता ह्रीं बीजं क्लीं शक्ति सः कीलकं मम दारिद्र्य नाशार्थे पाठे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः -
ब्रह्मऋषय नमः शिरसि।
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे।
स्वर्णाकर्षण भैरवाय नमः ह्रदि।
ह्रीं बीजाय नमः गुहो।
क्लीं शक्तये नमः पादयो।
सः कीलकाय नमः नाभौ
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे
ह्रां ह्रीं ह्रुं इति कर षडङ्गन्यासः।

धयानम-
पारिजात द्रुम कान्तारे स्थिते माणिक्य मण्डपे ,
सिंहासन गतं वन्दे भैरवं स्वर्ण दायकम।
गांगेय पात्रं डमरुँ त्रिशूलं वरं करः संदधतं त्रिनेत्रम ,
देव्यायुतं तप्तस्वर्णवर्ण स्वर्णाकर्षणभैरवमाश्रयामि।।

मंत्र -
ऐं ह्रीं श्रीं ऐं श्रीं आपदुद्धारणाय ह्रां ह्रीं ह्रूं अजामल वध्दाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण -भैरवाय मम दारिद्र्य विद्वेषणाय महाभैरवाय नमः श्रीं ह्रीं ऐं।
मंत्र समाप्ति पर एक दम आसन छोड़े ,कुछ समय भुकुटि मैं प्रभु भैरव का ध्यान और प्रार्थना करें। इसके बाद पूर्ण श्रद्धा भाव से स्तोत्र-पाठ करें।
।। स्तोत्र-पाठ ।।
ॐ नमस्तेऽस्तु भैरवाय, ब्रह्म-विष्णु-शिवात्मने,
नमः त्रैलोक्य-वन्द्याय, वरदाय परात्मने ।।
रत्न-सिंहासनस्थाय, दिव्याभरण-शोभिने ।
नमस्तेऽनेक-हस्ताय, ह्यनेक-शिरसे नमः ।
नमस्तेऽनेक-नेत्राय, ह्यनेक-विभवे नमः ।।
नमस्तेऽनेक-कण्ठाय, ह्यनेकान्ताय ते नमः ।
नमोस्त्वनेकैश्वर्याय, ह्यनेक-दिव्य-तेजसे ।।
अनेकायुध-युक्ताय, ह्यनेक-सुर-सेविने ।
अनेक-गुण-युक्ताय, महा-देवाय ते नमः ।।
नमो दारिद्रय-कालाय, महा-सम्पत्-प्रदायिने ।
श्रीभैरवी-प्रयुक्ताय, त्रिलोकेशाय ते नमः ।।
दिगम्बर ! नमस्तुभ्यं, दिगीशाय नमो नमः ।
नमोऽस्तु दैत्य-कालाय, पाप-कालाय ते नमः ।।
सर्वज्ञाय नमस्तुभ्यं, नमस्ते दिव्य-चक्षुषे ।
अजिताय नमस्तुभ्यं, जितामित्राय ते नमः ।।
नमस्ते रुद्र-पुत्राय, गण-नाथाय ते नमः ।
नमस्ते वीर-वीराय, महा-वीराय ते नमः ।।
नमोऽस्त्वनन्त-वीर्याय, महा-घोराय ते नमः ।
नमस्ते घोर-घोराय, विश्व-घोराय ते नमः ।।
नमः उग्राय शान्ताय, भक्तेभ्यः शान्ति-दायिने ।
गुरवे सर्व-लोकानां, नमः प्रणव-रुपिणे ।।
नमस्ते वाग्-भवाख्याय, दीर्घ-कामाय ते नमः ।
नमस्ते काम-राजाय, योषित्कामाय ते नमः ।।
दीर्घ-माया-स्वरुपाय, महा-माया-पते नमः ।
सृष्टि-माया-स्वरुपाय, विसर्गाय सम्यायिने ।।
रुद्र-लोकेश-पूज्याय, ह्यापदुद्धारणाय च ।
नमोऽजामल-बद्धाय, सुवर्णाकर्षणाय ते ।।
नमो नमो भैरवाय, महा-दारिद्रय-नाशिने ।
उन्मूलन-कर्मठाय, ह्यलक्ष्म्या सर्वदा नमः ।।
नमो लोक-त्रेशाय, स्वानन्द-निहिताय ते ।
नमः श्रीबीज-रुपाय, सर्व-काम-प्रदायिने ।।
नमो महा-भैरवाय, श्रीरुपाय नमो नमः ।
धनाध्यक्ष ! नमस्तुभ्यं, शरण्याय नमो नमः ।।
नमः प्रसन्न-रुपाय, ह्यादि-देवाय ते नमः ।
नमस्ते मन्त्र-रुपाय, नमस्ते रत्न-रुपिणे ।।
नमस्ते स्वर्ण-रुपाय, सुवर्णाय नमो नमः ।
नमः सुवर्ण-वर्णाय, महा-पुण्याय ते नमः ।।
नमः शुद्धाय बुद्धाय, नमः संसार-तारिणे ।
नमो देवाय गुह्याय, प्रबलाय नमो नमः ।।
नमस्ते बल-रुपाय, परेषां बल-नाशिने ।
नमस्ते स्वर्ग-संस्थाय, नमो भूर्लोक-वासिने ।।
नमः पाताल-वासाय, निराधाराय ते नमः ।
नमो नमः स्वतन्त्राय, ह्यनन्ताय नमो नमः ।।
द्वि-भुजाय नमस्तुभ्यं, भुज-त्रय-सुशोभिने ।
नमोऽणिमादि-सिद्धाय, स्वर्ण-हस्ताय ते नमः ।।
पूर्ण-चन्द्र-प्रतीकाश-वदनाम्भोज-शोभिने ।
नमस्ते स्वर्ण-रुपाय, स्वर्णालंकार-शोभिने ।।
नमः स्वर्णाकर्षणाय, स्वर्णाभाय च ते नमः ।
नमस्ते स्वर्ण-कण्ठाय, स्वर्णालंकार-धारिणे ।।
स्वर्ण-सिंहासनस्थाय, स्वर्ण-पादाय ते नमः ।
नमः स्वर्णाभ-पाराय, स्वर्ण-काञ्ची-सुशोभिने ।।
नमस्ते स्वर्ण-जंघाय, भक्त-काम-दुघात्मने ।
नमस्ते स्वर्ण-भक्तानां, कल्प-वृक्ष-स्वरुपिणे ।।
चिन्तामणि-स्वरुपाय, नमो ब्रह्मादि-सेविने ।
कल्पद्रुमाधः-संस्थाय, बहु-स्वर्ण-प्रदायिने ।।
भय-कालाय भक्तेभ्यः, सर्वाभीष्ट-प्रदायिने ।
नमो हेमादि-कर्षाय, भैरवाय नमो नमः ।।
स्तवेनानेन सन्तुष्टो, भव लोकेश-भैरव !
पश्य मां करुणाविष्ट, शरणागत-वत्सल !
श्रीभैरव धनाध्यक्ष, शरणं त्वां भजाम्यहम् ।
प्रसीद सकलान् कामान्, प्रयच्छ मम सर्वदा ।।
।। फल-श्रुति ।।
श्रीमहा-भैरवस्येदं, स्तोत्र सूक्तं सु-दुर्लभम् ।
मन्त्रात्मकं महा-पुण्यं, सर्वैश्वर्य-प्रदायकम् ।।
यः पठेन्नित्यमेकाग्रं, पातकैः स विमुच्यते ।
लभते चामला-लक्ष्मीमष्टैश्वर्यमवाप्नुयात् ।।
चिन्तामणिमवाप्नोति, धेनुं कल्पतरुं ध्रुवम् ।
स्वर्ण-राशिमवाप्नोति, सिद्धिमेव स मानवः ।।
संध्याय यः पठेत्स्तोत्र, दशावृत्त्या नरोत्तमैः ।
स्वप्ने श्रीभैरवस्तस्य, साक्षाद् भूतो जगद्-गुरुः ।
स्वर्ण-राशि ददात्येव, तत्क्षणान्नास्ति संशयः ।
सर्वदा यः पठेत् स्तोत्रं, भैरवस्य महात्मनः ।।
लोक-त्रयं वशी कुर्यात्, अचलां श्रियं चाप्नुयात् ।
न भयं लभते क्वापि, विघ्न-भूतादि-सम्भव ।।
म्रियन्ते शत्रवोऽवश्यम लक्ष्मी-नाशमाप्नुयात् ।
अक्षयं लभते सौख्यं, सर्वदा मानवोत्तमः ।।
अष्ट-पञ्चाशताणढ्यो, मन्त्र-राजः प्रकीर्तितः ।
दारिद्र्य-दुःख-शमनं, स्वर्णाकर्षण-कारकः ।।
य येन संजपेत् धीमान्, स्तोत्र वा प्रपठेत् सदा ।
महा-भैरव-सायुज्यं, स्वान्त-काले भवेद् ध्रुवं ।।


आचार्य अनिल वर्मा
Master in Astrology and Vastu shastra
माँ बगलामुखी साधक
Contact -9811715366 ,8826098989

होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय


होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय     

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी की होली के दिन किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-
धन की कमी से बचने का उपाय
होली की रात चंद्रमा के उदय होने के बाद अपने घर की छत पर या खुली जगह, जहां से चांद नजर आए, वहां खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें। अब दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अर्घ्य के बाद सफेद मिठाई तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। चंद्रमा से समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट दें। फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें। कुछ ही दिनों में आप महसूस करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि निरंतर बढ़ रही है।
ग्रहों की शांति के लिए उपाय
होली की रात उत्तर दिशा में बाजोट (पटिए) पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल की ढेरी बनाएं। अब उस पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। उस पर केसर का तिलक करें, घी का दीपक लगाएं एवं नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। जाप स्फटिक की माला से करें। जाप पूरा होने पर यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें, ग्रह अनुकूल होने लगेंगे।
मंत्र- ब्रह्मा मुरारी स्त्रीपुरान्तकारी भानु शशि भूमि-सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।
व्यापार में सक्सेस पाने का उपाय
एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में गेहूं के आसन पर स्थापित करें और सिंदूर का तिलक करें। अब मूंगे की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। 21 माला जाप होने पर इस पोटली को दुकान में ऐसे स्थान पर टांग दें, जहां ग्राहकों की नजर इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में सफलता मिलने के योग बन सकते हैं।
मंत्र- ऊं श्रीं श्रीं श्रीं परम सिद्धि व्यापार वृद्धि नम:।
रोग नाश के लिए उपाय
अगर आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो इसके लिए भी होली की रात को खास उपाय करने से आपकी बीमारी दूर हो सकती है। होली की रात आप नीचे लिखे मंत्र का जाप तुलसी की माला से करें।
मंत्र- ऊं नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा
होली की सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें। अब सामने किसी बर्तन में चार लघु नारियल व सात लग्न मंडप सुपारी को स्थापित करें। अब कुंकुम चावल से पूजा करके धूप-दीप करें व घी की दीपक जलाएं। जब तक जप चले तब तक दीपक जलते रहना चाहिए। अब पीली सरसौं के दाने उस बर्तन में छिड़कते हुए निम्न मंत्र का जप करें-
मंत्र- क्लीं हौं क्षिप: ऊँ स्वाहा
जप कम से कम एक घंटे तक करें। अब शाम को होलिका दहन के वक्त उस सामग्री को आटे को लोई में लपेट कर होलिका में डाल दें। शीघ्र ही आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।
     होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
    
     होली दहन के समय सात गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्णश्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र दहन में डाल दें। होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोड़ी सी राई एवं नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है। होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक नियमित पाठ करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी। यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति नहीं हो रही हो, तो २१ गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।
    
     नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें। होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें। होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें एवं भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है। यदि बुरा समय चल रहा हो तो होली के दिन पेंडुलम वाली नई घडी पूर्वी या उत्तरी दीवार पर लगाएं। परिणाम स्वयं देखे।
    
     राहु का उपाय -एक नारियल का गोला लेकर उसमे अलसी का तेल भरकर उसी में थोडा सा गुड़ डालें। फिर उस नारियल के गोले को राहु से ग्रस्त व्यक्ति अपने शारीर के अंगो से स्पर्श करवाकर जलती हुई होलिका में डाल दे। पूरे वर्ष भर राहु से परेशानी की संभावना नहीं रहेगी। मनोकामना की पूर्ति हेतु होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं, मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
    
     होली की प्रातः बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मंदिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर अवश्य चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी। स्वास्थ्य लाभ हेतु मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिए जौ के आटे में काले तिल एवं सरसों का तेलमिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
    
     व्यापार लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा। होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दुकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।
धनहानि से बचाव के लिए होली के दिन मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर चारमुखी  दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव की कामना करें।
आचार्य अनिल वर्मा
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