चन्द्र

चन्द्र के करक
स्थूल शारीर ,युवावस्था ,सुंदर नेत्र ,रक्त प्रवाह ,मृदु वाणी ,गौर वर्ण ,सफ़ेद वस्त्र ,कफ और वात ,स्त्री ,जल के जानवर ,खरगोश ,बगुला ,सस्ता का पूजक ,जल तत्त्व
दान -मोती ,चांदी ,चावल ,मिश्री ,दही ,स्वेत वस्त्र ,स्वेत पुष्प ,शंख ,कपूर ,स्वेत बैल ,स्वेत चन्दन ,
जहा स्त्रियां रहती हों ,शह्द ,जल ,औषधि
मंत्र -ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
वैदिक मंत्र - ऊँ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं ।
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा ।
चंद्रमा का पौराणिक मंत्र – Poranik Mantra for Moon
ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम ।।

चंद्रमा गायत्री मंत्र – Chandra Gayatri Mantra
ऊँ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि, तन्नो सोम प्रचोदयात ।
चंद्रमा के देवता -अम्बा देवी
दिशा -पश्चिमोत्तर
चंद्रमा के शुभ प्रभाव के लिए  हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक प्रत्येक रात्रि चंडी के गिलास में कच्चा दूध , बुरा ,जल मिलकर चंद्रमा को देखते हुए अर्घ्य दे। घी का दीपक दिखाते हुए ॐ सोमाय नमः का जाप करें। पूर्णिमा को इसके साथ ही खीर बनाकर पत्ते पर रखकर भोग भी दे।