माँ बगलामुखी का
एकाक्षरी मंत्र विधान
नोट -जिन साधको
ने अभी तक
दीक्षा नहीं ली
,उन्हें सर्प्रथम माँ बगलामुखी
के इस एकाक्षर
मंत्र का अनुष्ठान
अवश्य करना चहिये
,भगवती माँ बगलामुखी
के इस एकाक्षरी
बीज मन्त्र की
साधना करने वाले
साधक के सभी
कार्य बिन कहे
ही पूर्ण हो
जाते है ,जीवन
की सभी बाधाएं
स्वयं ही दूर
हो जाती है।
माँ पीताम्बरा बगलामुखी
का एकाक्षरी मन्त्र
के बिना माँ
की साधन अपूर्ण
ही है। माँ
की साधना एकाक्षरी
बीज मंत्र से
ही शुरू होती
है ,बीज मंत्र
को देवता
के प्राण के
कहाँ गया है
,जिस प्रकार बिना
बीज के वृक्ष
की उत्त्पत्ति नहीं
हो सकती उसी
प्रकार बीना बीज
मंत्र के साधन
की सफलता नहीं
हो सकती।
बीज मंत्र -ह्लीं अनेक साधक ह्रलीं भी जपते
है परंतु मुझे
गुरुमुख दतिया पीठ से ह्लीं बीज
मंत्र प्राप्त हुआ
और गुरु महाराज
स्वामी जी महाराज
भी ह्लीं का ही
उचचारण ही बताते
थे। इसी
लिए गुरु आज्ञा
से ह्लीं बीज मन्त्र
का ही उच्चारण
दिया जा रहा
है
पूजा क्रम --किसी
भी प्रकार के अनुष्ठान
पूजा से पहले यह
नियम अवश्य करें।
आसन पूजा ,आचमन
एवं शुद्धि करण ,गुरु पूजा
, गणेश पूजा ,भैरव पूजा
(माँ बगलामुखी के
भैरव मृत्युंजय भैरव
है )
ध्यान ,माँ की
पूजा , मंत्र जाप मृत्युंजय
भैरव मंत्र ॐ हौं
जूं सः। क्षमा याचना जप
समर्पण
भगवती बगलामुखी की साधना
का समय रात्रि
9 बजे के बाद
शुरू करें। यह
साधना आपने घर
के एकांत साफ़
कमरे मैं करें
,सर्वप्रथम एक चौकी
पर पिला कपडा
बिछाये ,वह माँ
भगवती बगलामुखी का
चित्र , गुरु चित्र
, भैरव या मृत्युंजय
शिव का चित्र
भी रखे। स्वयं
भी पिले वस्त्र
,पिला आसन , पिले
पुष्प ,पिला नैवेध
भी रखे ,जल
का लोटा ,हल्दी
की माला।
आसान पर बैठ
कर अपने शरीर
पर जल छिड़के
और मंत्र -
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा
सर्वावस्था गतोअपि वा।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स
बाह्याभ्यंतरः शूचि:
इसके बाद सीधे
हाथ मैं जल
लेकर आचमन करें।
ॐ केशवाय नमः। जल पी
ले , पुनः
ॐ नारायणः नमः। जल पी
ले पुनः
ॐ माधवाय नमः। जल पी
ले।
हाथ धो ले
ॐ ऋषिकेशाय नमः।
आसान शुद्धि करें
मंत्र पड़ते हुए
आसान पर जल
छिड़के ,
ॐ पृथ्वि ! त्वया घृता
लोका देवि ! त्वं
विष्णुना घृता।
त्वं च धारय
मां नित्यं ! पवित्रं
कुरु चासनम।।
मंत्र पड़ते हुए
आसान को प्रणाम
करें ,
ॐ क्लीं आधार शक्तयै
कमलासनाय नमः।
रक्षा कवच के लिए
थोड़ी पीली सरसों
हाथ मैं लेकर
अपसर्पन्तु
ते भूता ये
भूता भुवि संस्थिताः।
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते
नश्यन्तु शिवाज्ञा।। .
अपक्रामन्तु
भूतानि पिशाचा: सर्वतो
दिशः।
सर्वेषामविरोधेन
पूजाकर्म समारंभे।। मंत्र पड़ते हुए चारो
दिशाओं
में
बिखेर
दे।
दीपक प्रज्वलित मंत्र
पड़ते
हुए
करें।
भो दीप देवीरूपसत्वं
कर्मसाक्षी ह्यविघ्नकृत।
यावत् कर्म समाप्ति
सयात् तावत् तवं
सुस्थिरो भव।
इसके बाद गुरु ध्यान
पूजा करें।
अखंड मंडलाकारं व्यापतं येन
चराचरम्।
तत पदं दर्शितं
येन तस्मै श्री
गुरुवे नमः।।
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानांजन श्लाक्या।
चक्षुरुन्मीलितं
येन तस्मै श्री
गुरुवे नमः।।
देवतायाः दर्शनं च करूणा
वरुणालयं।
सर्व सिद्धि प्रदातारं श्री
गुरु प्रणमाम्यहम्।।
वराभय कर नित्यं
श्वेत पद्म निवासिनं।
महाभय निहन्तारं गुरु देवं
नामाम्यहम्।।
भगवन गणेश का पूजन
ध्यान करके
इसके बाद मृत्युंजय
भगवन शिव का
धयान करके ॐ हौं जूं
सः मंत्र की एक माला जाप करें।
ध्यान- हाथ में पिले
पुष्प लेकर माँ का ध्यान करें ,योनि मुद्रा प्रदर्शित करें।
सौवर्णासन-संस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीं।
हेमाभाङगरूचिं शशाडकं-मुकुटां सच्चम्पक-स्त्रग्य़ुताम्।
हस्तैर्मुद्गर-पाशबद्ध -रसनां संबिभ्रतीं भूषणै
व्र्याप्तागीं वगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनी
चिन्तयेत्।।
(सोने के आसन पर विराजित ,तीन नेत्रो वाली ,पिले वस्त्र धारण करने
वाली सोने के कांति वाली ,चन्द्र मुकुट को धारण करने वाली ,चंपा की माला धारण करने
वाली ,हाथो में मुद्गर ,पाश व् शत्रु की जिव्ह्या को पकडे हुए है ,दिव्या आभूषणो से
सुशोभित है जो तीनो लोको को स्तंभित करने वाली माँ बगलामुखी का मैं ध्यान करता हूँ।)
विनियोग –
ॐ अस्य एकाक्षरी
बगला मन्त्रस्य ब्रह्म
ऋषि गायत्री छंद
बगलामुखी देवताः ळं बीजं
ह्रीं शक्ति इं
कीलकं मम सर्वार्थ
साधने सिद्धयर्थे जपे
विनियोगः।
ऋष्यादिन्यासः-
ॐ ब्रह्म ऋषये नमः
शिरसि।
ॐ गायत्री छंदसे नमः
मुखे।
ॐ बगलामुखी देवतायै नमः
हृदय।
ॐ ळं बीजाय
नमः गुह्ये।
ह्रीं शक्तये नमः पादयो।
इं कीलकाय नमः सर्वांगे।
श्री बगलामुखी देवताम्बा प्रीत्यर्थे
जपे विनियोगाय नमः
अंजलौ।
षडङ्गन्यास -
ॐ ह्लां हृदयाय नमः।
ॐ ह्लीं शिरसे स्वाहा।
ॐ ह्लूं शिखायै वषट्।
ॐ ह्लैं कवचाय हूँ।
ॐ हलौं नेत्रत्राय
वौषट्।
ॐ ह्लः अस्त्राय
फ़ट्।
करन्यासः -
ॐ ह्लां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्लीं तर्जनीभ्यां स्वाहा।
ॐ ह्लूं मध्याभ्यां वषट्।
ॐ ह्लैं अनामिकाभ्यां हूँ।
ॐ ह्लौं कनिष्ठकाभ्यां वौषट्।
ॐ ह्लः करतल
कर पृष्ठाभ्यां फट्।
इसके बाद प्रतिदिन
एक निश्चित संख्या
में माँ बगलामुखी
के बीज मंत्र
ॐ
ह्लीं
मंत्र का निश्चित
समय पर जप
प्रारम्भ करें। यह अनुष्ठान
11 दिन , या
21
दिन में 125000 मंत्र
(1250 माला ) पूर्ण करें।
इसके बाद 12500
मंत्रो
से हवन करें।
हवन आप प्रत्येक
दिन के जाप
मंत्रो के दसांश
का रोज भी
कर सकते है ।
इसके बाद ॐ ह्लीं तर्पयामि
से तर्पण करें। तर्पण
के पश्चात ॐ ह्लीं मार्जयामि
मंत्र
से 125 मंत्र
2 माला मंत्र
से मार्जन करें
,मार्जन के बाद
11 कन्याओं और
ब्राह्मणों को भोजन
करवा कर आशीर्वाद
ले।
जय माँ पीताम्बरा।
जय
गुरुदेव।
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की समस्या समाधान के लिए
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आचार्य अनिल वर्मा
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