शनि के कारक
शनि के कोण ,मंद सूर्यपुत्र , यम , शनैश्चर ,आदि नाम है। शनि का रंग काला ,पश्चिम दिशा ,ब्रह्मा अधिदेवता ,शूद्र या संकर जाती ,नपुंसक ,तामसी ,वायु ,आलसी ,नसों पर अधिपत्य होता है। शनि का जीर्ण फटा हुआ वस्त्र ,लोहा धातु ,कसेला रस ,शिशिर ऋतू। मकर और कुम्भ राशियों का स्वामी ,तुला मैं उच्च और मेष मैं नीच होता है ,पापग्रह और दुख सूचक है ,यह शुष्क गृह है , सप्तम स्थान पर निष्फल होता है ,
इसकी शांति के लिए शनि के मंत्र और दान करना चाहिए ,इसके लिए कला कपडा ,काले तिल ,साबूत उड़द ,लोहा , शीशा , मोटा अंनाज , कम्बल ,काली छत्री , जूता ,गुड़ , तेल ,आदि दान करना चाहिए।
यदि कुंडली मैं शनि योगकारक हो तो नीलम /नीली , कटेला रत्न पहनना चाहिए।
शनि के तांत्रिक मंत्र -
ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः।
वैदिक मंत्र -
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
पौराणिक
- ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
शनि के कोण ,मंद सूर्यपुत्र , यम , शनैश्चर ,आदि नाम है। शनि का रंग काला ,पश्चिम दिशा ,ब्रह्मा अधिदेवता ,शूद्र या संकर जाती ,नपुंसक ,तामसी ,वायु ,आलसी ,नसों पर अधिपत्य होता है। शनि का जीर्ण फटा हुआ वस्त्र ,लोहा धातु ,कसेला रस ,शिशिर ऋतू। मकर और कुम्भ राशियों का स्वामी ,तुला मैं उच्च और मेष मैं नीच होता है ,पापग्रह और दुख सूचक है ,यह शुष्क गृह है , सप्तम स्थान पर निष्फल होता है ,
इसकी शांति के लिए शनि के मंत्र और दान करना चाहिए ,इसके लिए कला कपडा ,काले तिल ,साबूत उड़द ,लोहा , शीशा , मोटा अंनाज , कम्बल ,काली छत्री , जूता ,गुड़ , तेल ,आदि दान करना चाहिए।
यदि कुंडली मैं शनि योगकारक हो तो नीलम /नीली , कटेला रत्न पहनना चाहिए।
शनि के तांत्रिक मंत्र -
ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः।
वैदिक मंत्र -
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
पौराणिक
- ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।